tag:blogger.com,1999:blog-3984445268308820267.post4459351344376054363..comments2023-10-25T03:18:00.251-07:00Comments on मटुकजूली -पिंजर प्रेम प्रकासिया: सामान्यीकरण से सावधानmatukjulihttp://www.blogger.com/profile/08188417915951811081noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-3984445268308820267.post-90364086294208141132009-09-28T23:36:00.551-07:002009-09-28T23:36:00.551-07:00यह मामला ऐसा है कि कोई जल्दी ही इसमे हाथ नही डालेग...यह मामला ऐसा है कि कोई जल्दी ही इसमे हाथ नही डालेगा। जब यह प्रसंग घट रहा था तो टीवी पर इसे देखना दुखद भी लगता था और दिलचस्प भी। तमाम शारीरिक और मानसिक हिंसा झेलने के बावजूद परिपक्वता, धैर्य और आत्मविश्वास से भरी, लगातार टीवी एंकरों को निरुत्तर करतीं जूली जी भी महिला संगठनों को ‘फंस गई’ लग रहीं थीं। तो दूसरी तरफ कई लोगों को यह लग रहा था कि मटुक जी ‘फंस’ गए हैं और यह (जूली) पी.एच.डी. होेते ही निकल लेंगीं।<br />मैं सोचता हूं कि बाल-विवाह के शिकार जोड़े परिपक्व होने पर जब खुदको परस्पर बेमेल पाते होंगे तो कैसी दुविधा में फंस जाते होंगे !Sanjay Groverhttps://www.blogger.com/profile/14146082223750059136noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3984445268308820267.post-53026609317231518762009-09-27T22:57:00.863-07:002009-09-27T22:57:00.863-07:00" अगर मैं दूसरों की देखादेखी करता तो स्वभावतः..." अगर मैं दूसरों की देखादेखी करता तो स्वभावतः मेरे बहुत समर्थक होते, लेकिन मेरा आनंद खो जाता." --<br /><br />आदरनीये सर इस बात को समझ पाना सब के लिये सम्भव नहीं है। इस सत्य कॊ कोइ निर्मल आंख वाले ही देख सकते हैHOMOEOPATHIC MINDhttps://www.blogger.com/profile/10661613631593366576noreply@blogger.com