tag:blogger.com,1999:blog-3984445268308820267.post4930781083150675131..comments2023-10-25T03:18:00.251-07:00Comments on मटुकजूली -पिंजर प्रेम प्रकासिया: अपने स्वभाव के अनुसार चलना श्रेयस्करmatukjulihttp://www.blogger.com/profile/08188417915951811081noreply@blogger.comBlogger3125tag:blogger.com,1999:blog-3984445268308820267.post-2062318347987908882010-01-13T09:16:12.860-08:002010-01-13T09:16:12.860-08:00मटूक जी !
नमन ! आप बधाई के पात्र हैं ।
ओशो को ...मटूक जी ! <br /><br />नमन ! आप बधाई के पात्र हैं । <br /><br />ओशो को पढ़ना और इसे अंत:स्थल से समझना बिल्कुल दूसरी बात है । बहुत से लोग ओशो को केवल अपनी तर्क-शक्ति प्रबल करने के लिए पढ़ते हैं, न कि स्व की खोज के लिए । ऐसे लोगों की खोपड़ी बढ़ती है, ह्रदय नहीं बदलता ।मनोज भारतीhttps://www.blogger.com/profile/17135494655229277134noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3984445268308820267.post-63939905455657019182009-12-01T05:08:42.844-08:002009-12-01T05:08:42.844-08:00तकनीकी कारणों से यह मटुकजूली ब्लाग पर पोस्ट नहीं ह...तकनीकी कारणों से यह मटुकजूली ब्लाग पर पोस्ट नहीं हो पा रही है। (ho sakta hai shabd-seema ka mamla ho!)अपने और दूसरे ब्लाग पर डालनी पड़ेगी।Sanjay Groverhttps://www.blogger.com/profile/14146082223750059136noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3984445268308820267.post-36291172537644090112009-11-30T10:47:50.891-08:002009-11-30T10:47:50.891-08:00एक ओशो के विचारों की सुगंध से सराबोर व्यक्ति ही ऐस...एक ओशो के विचारों की सुगंध से सराबोर व्यक्ति ही ऐसा सोच सकता है. साधू!ab inconvinientihttp://limestone0km.blogspot.comnoreply@blogger.com