शनिवार, सितंबर 05, 2009

सेमेस्टर सिस्टम की खूबियाँ

भोलाराम- आपने जेएनयू में सेमेस्टर सिस्टम से ही पढ़ाई की थी. इसमें क्या होता है, जरा समझाने की कृपा करें.
मटुक- सेमेस्टर सिस्टम को हिन्दी में अर्द्धवार्षिक पाठ्यक्रम कहते हैं. मान लीजिए एम.ए. में सोलह पत्रों की पढ़ाई हो रही है. इनको चार खंडों में विभाजित कर दिया जायेगा. प्रत्येक सेमेस्टर में चार पत्रों की पढ़ाई और परीक्षा होगी. परीक्षा दो प्रकार की होगी (क.) इंटरनल एसेसमेंट (ख) स्मृति पर आधारित परंपरागत लिखित सत्रांत परीक्षा. आमतौर पर 50 नंबर इंटरनल एसेसमेंट पर और 50 नंबर सत्रांत परीक्षा पर रखा जाता है. दोनों को जोड़कर एक सेमेस्टर का रिजल्ट निकाल दिया जाता है. इसका मूल्यांकन ग्रेड में किया जाता है. ग्रेड का अर्थ तुम्हें समझा चुके हैं, याद है न?
भोलारामः- हाँ सर, याद है. और चारंों सेमेस्टरों का ग्रेड जोड़कर फाइनल रिजल्ट होगा, यही न ? पीयू-प्रशासक ने तो कहा है कि इंटरनल एसेसमेंट में 20 या 30 ही अंक रहेेंगे?
मटुकः- ये डरे हुए लोग हैं. आम शिक्षकों के हाथ में ग्रेड देने का पूरा अधिकार नहीं देना चाहते हैं. कारण यह है कि उन्हें शिक्षकों पर विश्वास नहीं है. उन्हें लगता है कि अंदरूनी परीक्षा में ज्यादा अंक रखने से पक्षपात ज्यादा हो जायेगा. इसलिए उसकेा मिनिमाइज करने के लिए वे इस पर कम से कम अंक रखना चाहते हैं. बेईमान आदमी को दूसरों पर भरोसा नहीं होता. लेकिन शायद उन्हें पता नहीं कि सेमेस्टर सिस्टम में जो पढ़ाते हैं, वही उत्तरपुस्तिकाएँ भी जाँचते हैं. दूसरे विश्वविद्यालय के प्रोफेसरों से उत्तरपुस्तिका जँचवाने का काम जो विश्वविद्यालय कराता आ रहा है, इसके पीछे कारण है कि यहाँ के शिक्षक जाँचेंगे तो पक्षपात करेंगे. इस नियम से शिक्षक समुदाय पर जो बड़ा कलंक लगा है , वह धुलेगा; क्योंकि इस सिस्टम में पढ़ाने वाले ही काॅपी जाँचेंगे चाहे वह इंटरनेल एसेसमेंट हो चाहे सत्रांत परीक्षा
.भोलारामः-यह बात तो सच है कि शिक्षक हों या प्रशासक वे बेईमानी करतेेे हैं, इस पर अंकुश रखने का कोई उपाय ?
मटुकः- अगर किसी विद्यार्थी को लगे कि उसके साथ अन्याय हो रहा है तो इसके लिए हर विभाग में एक पुनर्मूल्यांकन बोर्ड होना चाहिए, जहाँ उस पर विचार हो. बहुत ज्यादा लगे कि अन्याय हो रहा है तब विवादित उत्तरपुस्तिका को बोर्ड में रखा जाये.
भोलारामः- ये क्रेडिट क्या होता है, सर ?
मटुकः- मोटा-मोटी समझो भोलाराम कि चार क्रेडिट का एक पेपर होता है. एक पेपर में इतनी सामग्री रहनी चाहिए कि एक औसत बुद्धि का लड़का उसे एक महीने में तैयार कर सके. इसके लिए तुम इग्नू की किसी पाठ्यपुस्तक की भूमिका देखना. उसमें इसके बारे में लिखा मिलेगा. उसमें एक क्रेडिट की पढ़ाई को कुछ घंटों में बाँटा है. फिर समय के अनुपात में उसे गणना कर बताया है कि एक सेमेस्टर में कितने क्रेडिट पढ़े जा सकते हैं. मैं उससे पूरी तरह सहमत नहीं हूँ. इसलिए मोटा-मोटी बताया.
भोलारामः- इंटरनल एसेसमेंट में क्या-क्या रहेगा?मटुकः- इतना इसमें पढ़ना रहता है कि पढ़ते, परीक्षा देते ही अर्द्धवार्षिक या सत्रांत परीक्षा आ जाती है. इसकी तैयारी के लिए अलग से समय नहीं मिल पाता है. इसलिए मेरी अपनी दृष्टि है कि इंटरनल असेसमेंट पर 60 अंक रहने चाहिए और सत्रांत परीक्षा पर 40 अंक. इंटरनल एसेसमेंट हर विश्वविद्यालय अपने अपने ढंग से लेते हैं. हर प्रोफेसर के हिसाब से उसकी शैली में भी अंतर आता है.
भोलारामः- आपको लेना हो तो कैसे लेंगे?
मटुकः- मान लो चार क्रेडिट का एक पेपर मुझे एक सेमेस्टर में पढ़ाने को मिला. इसमें मैं छह परीक्षाएँ लूँगा. दो क्लास टेस्ट, दो सेमिनार पेपर और दो टर्म पेपर. पहले क्लास टेस्ट को समझो. मैं अपने वर्ग के सभी विद्यार्थियोें केा कहूँगा कि अमुक विषय पर अमुक दिन पढ़ाई होगी. उस विषय को आप भली भाँति पढ़कर आयें. एक घंटे का वर्ग होगा. उसमें आधा घंटा मैं उस विषय पर व्याख्यान दूँगा और आधा घंटा उससे संबंधित ंआपकेे सवालों के जवाब. विद्यार्थियों की जरूरत को देखकर इसमें थोड़ा फेरबदल भी किया जा सकता है. एक घंटा का वर्ग समाप्त होने के बाद उसी से संबंधित कुछ प्रश्न उसी समय मैं लिखने के लिए विद्यार्थियों केा दूँगा. समय एक घंटा रहेगा. यह क्लास टेस्ट हुआ. इस तरह के दो टेस्ट एक सेमेस्टर में होंगे. अब सेमिनार पेपर को समझो. इसके अन्तर्गत पढ़ाये गये विषयों में से एक प्रश्न दूँगा जिसका उत्तर विद्यार्थी दो से तीन पृष्ठों में लिखकर जमा करेेेंगे. इसके बाद एक निर्धारित तिथि को एक-एक छात्र के सेमिनार पेपर पर गहन डिस्कशन होगा, सेमिनार पेपर लिखने वाले छात्रों से अन्य छात्र एवं शिक्षक उसके टाॅपिक से जुड़े अनेक सवाल करेंगे, जिनके जवाब उन्हें देने होंगे. इससे यह पता चलेगा कि जो कुछ छात्र ने लिखा है वह अपने से समझ कर लिखा है या बिना समझे कहीं से उड़ा लिया है. टर्म पेपर थोड़ा विस्तृत होगा. छह से दस पेज के बीच. इस तरह हमारे इंटरनल असेसमेंट की परीक्षा पूरी होगी.
भोलारामः- सत्रांत परीक्षा कैसे लेंगे?
मटुकः-पढ़ाये गये विषयों में दस प्रश्न मैं उन्हें पहले बता दूँगा. उनमें से सात पूछे जायेंगे और पाँच के उत्तर उन्हें देने होंगे.
भोलारामः- अच्छा, क्वेशचन पहले से आउट कर देंगे, क्यों?
मटुकः- अज्ञात प्रश्नों पर छात्र विश्वास पूर्वक पूरी शक्ति लगाकर मेहनत नहीें कर पाते हैं. जब प्रश्न पहले से मालूम रहेगा तो वे अच्छा से अच्छा करने के लिए तैयारी में सारी शक्ति झोंक देंगे. इससे उनकी जानकारी बढ़ेगी.
भोलारामः- आपने कहा कि टर्म पेपर लिखते-लिखते ही सत्रांत परी़क्षा आ जाती है, तो विद्यार्थी तैयारी कब करेंगे?
मटुकः- मेरे समय में जेएनयू में ऐसा ही हो जाता था. लेकिन मैं इसके लिए कम से कम एक सप्ताह का समय दूँगा.
भोलारामः- क्या आपको लगता है कि पटना विश्वविद्यालय से इतना सब कुछ हो पायेगा?
मटुकः- मुझे तो नहीं लगता; कई कारण हैं. पहली बात है कि इस सिस्टम में शिक्षक और छात्र का अनुपात निश्चित होना चाहिए. एक शिक्षक पर अधिक से अधिक 30 विद्यार्थी रहने चाहिए. तभी पढ़ाई के साथ-साथ उनका सही-सही मूल्यांकन हो पायेगा. अगर एक शिक्षक पर सौ विद्यार्थी पड़े तो बँटाधार होगा. वही होगा जो हो रहा है, बिना पढ़े उत्तरपुस्तिकाओं पर नंबर दिये जायेंगे. क्लास टेस्ट और सेमिनार पेपर देना एक दस्तूर होगा. अभी जानते हो कि विश्वविद्यालय शिक्षकों से खाली हैं. दूसरा कारण यह है कि काॅलेज में कोई काम न रहने के कारण शिक्षक आलसी हो गये हैं. एकाएक उन पर काम का बोझ आयेगा . अगर अंदर से उत्साह नहीं है, तो सारे सेमेस्टर सिस्टम को वे गुड़ गोबर कर देंगे. जो हालात हैं, उनमें इसी की संभावना है.
भोलारामः- (मुस्कुराते हुए) आप कहा करते हैं न कि यह शिक्षालय एक श्मशान घाट है जहाँ शिक्षा की अर्थी जलायी जाती है. इसमें डोम कौन हैं ?
मटुकः- अधिकारी वर्ग है डोम, शिक्षक समुदाय है शवयात्री, विद्यार्थी समुदाय हैं कर्ता जिनके माध्यम से मृतक शिक्षा को मुखाग्नि दी जाती है.
मटुक नाथ चैधरी

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

ब्लॉग आर्काइव

चिट्ठाजगत

Add-Hindi



रफ़्तार
Submit
Culture Blogs - BlogCatalog Blog Directory
www.blogvani.com
Blog Directory
Subscribe to updates
Promote Your Blog