सोमवार, मई 03, 2010

himachal pradesh ke bandhu ki kavita

हे मटुकनाथ जी...

जूली का साथ जी..

सच्चा प्यार का बंधन...

वाह क्या बात जी..

हे मटुकनाथ जी...



१.

आपने कथनी करनी से जो खींच दी रेखा...

प्रेम की इस परिभाषा को दुनिया ने देखा..

हर सुबह के पीछे जैसे खड़ी रात जी...

हे मटुकनाथ जी..

जूली का साथ जी...



२.

रिश्तों के बाजार में सब रह गया दिखावा...

अन्दर से दिल काले बाहर चमकीला पहनावा..

अपनापन पाने की नहीं मिलती खैरात जी...

हे मटुकनाथ जी..

जूली का साथ जी...

सच्चा प्यार का बंधन..

वाह क्या बात जी...



- यादवेन्द्र पुरी, पत्रकार,

सुंदरनगर हिमाचल प्रदेश.

०२-०५-२०१०

4 टिप्‍पणियां:

  1. आपके प्रेम पर यादवेंद्र जी ने अच्छी कविता प्रस्तुत की है । भाव स्पष्ट हैं ...अधिक क्या कहूँ ।

    जवाब देंहटाएं
  2. hello juli,,,
    aapki ek tippeni mere jangal vale lekh pr mili mujhe.ek khat jaisa tha.pdha mann hua baat karu kon hai ye stri??so blog tk aayi.aapki tasveere sundar hain khoob

    जवाब देंहटाएं

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